Monday 19 July 2010

नारियल का हुक्का

गाँव में ताऊ ताई दादा दादी सभी लोग पीते थे ( हम खुद पीते थे पर छुप-छुप के) अब कोई नहीं पीता गाँव में स्याम को अक्सर लोग चोपाल में, किसी के आँगन में कछाड़ी लगा गप्पे मारते और धुआं उड़ाते थे काम के साथ -२ भी तम्भाकू का मजा लेते थे

नारियल का हुक्का और घर के तम्भाकू की बात ही कुछ और है बचपन में ये सब्द हमारे कानो में अक्सर पड़ते थे बाबा (पापा)भी पीते थे और मैंने उनके लिए बहुत तम्भाकू बना बना के दिया है हमारे घर में एक नारियल का एक कांसे का हुक्का था सबसे बुरा तब लगता था जब उनको रखने के लिए घर में कोना ढुंडना पड़ता फिर बाबा एक हुक्का लाये जिसको कहीं भी रखो गिरता नहीं था सबसे जादा खुस मै था जब भी बाबा को तम्भाकू बना के देता १-२ सुट्टे तो मैं भी मारता था अंगारे सुलगाने थे ना !!!





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