हमारे गढ़वाल मी धान की रोपाई की खेती बड़े जोरों से होती है जून जुलाई का मोसम हर गाँव में खूब चहल कदमी का होता है हर गाँव में लोग घरों में कम खेतों में ही मिलते है सारा गाँव सामूहिक तरीके से परिवार दर परिवार रोपाई करता है बस मेला लगा रहता है पहले गधेरों में पानी भी बहुत होता था बरसा के पानी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता था पर अब बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ये बहुत ही सकून देना वाला द्रिश्य होता है जब दूर दूर तक लोग ही लोग नजर आते है मेरे शब्द भी कम हैं एस मनोहारी द्रिशांत का बर्णन करने के लिए ........!!!Friday, 23 July 2010
हमारे गढ़वाल मी धान की रोपाई की खेती बड़े जोरों से होती है जून जुलाई का मोसम हर गाँव में खूब चहल कदमी का होता है हर गाँव में लोग घरों में कम खेतों में ही मिलते है सारा गाँव सामूहिक तरीके से परिवार दर परिवार रोपाई करता है बस मेला लगा रहता है पहले गधेरों में पानी भी बहुत होता था बरसा के पानी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता था पर अब बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ये बहुत ही सकून देना वाला द्रिश्य होता है जब दूर दूर तक लोग ही लोग नजर आते है मेरे शब्द भी कम हैं एस मनोहारी द्रिशांत का बर्णन करने के लिए ........!!!
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