Monday 19 July 2010

बहुत पीसा है मैंने माँ के साथ जब मैंने होस संभाला है तो हमारे घर में ३ थी जो हलकी वाली थी उसमे डाले दलते थे और हम आसानी से घुमा भी सकते थे तो तो मैं और मेरा भाई एक दुसरे को बारी बारी से घुमाते भी थे खूब खेलते थे बड़ा मजा आता था कभी माँ आता पीसने बैठती थी तो माँ के हाथ से हाथ मिला कर २ मिनट के लिए जोर से घुमाते और फिर थक जाते माँ कहती हटो रे बच्चों क्यों परेशान कर रहे हो पर वो तो हमारे खेलने का खिलौना था पर अब कहीं नहीं दिखता मैं भी जब घर जाता हूँ तो मुझसे सिकायत भरी नजरों से घूरता रहता है मुझे पर मैं क्या करूँ जब वो दिन याद आते हें तो उसकी गग्राट से ही अक्सर हमारी नीद खुलती थी कितनी कथनी के दिन थे गाँव में अक्सर कूटने पीसने का काम रात को ही होता था बाकि दिन में तो और भी खेतों के काम होते थे

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