Monday 9 June 2014

आज फिर एक नयुं प्रयास 


बड़ा दिनु बाद आज कुछ लिखणो कु मन छ  कन्नू।  पर क्या लिखौं  आज द्वी तीन साल व्हेगेँ जबरी बटीं कलम हाथ माँ नि  उठे।  जिंदगी माँ उथल पुथल त  मचिन ही रेंदी पर यखत चपट्ट व्हयीं छः।  बड़ी अफशोस  की बात छ  की पारिवारिक जीवन माँ यथा व्यस्त व्हेगी रयो,  की लिखणो  को टेम  नि  निकाली  सक्यों।  अपरा सभी गढ़वाली भायों  ते देखुदू त  मेरु भी बडू  मन करदू  की मैं भी अपरी मात्र  भाषा  तेन कुछ सहयोग द्यों। आज बटीं  रोज कुछ  न कुछ लिखण की कोशिस  राली।
      जब मैन ये ब्लॉग ते सुरु करी थों  टी बड़ा जोर शोर सी लेखी भ्या। बड़ा बड़ा लेखकु सी परिचय व्हे।  बौत  सारा ब्लॉग पढ़ेंन।सबुन मेरा लिखण,  मेरा सहयोग की सराहना करी त बड़ी खुशी  मिली। पर अचानक ही  मेरु हाथ रुकी ग्या।  समस्या या थें की अंग्रेजी माँ टेप कन्ना बाद सै शब्द ही नि  मिल्दु थों।  बौत हमारा गढ़वाली शब्द छन  जों  तें  लिखण  माँ बड़ी दिक्कत होंदी। अर जब तक सै शब्द नि लिख्योंदु  मन नि माणदू।  अब कारण चा ज्वी  भी रै होलू पर सच्ची मा द्वी तीन साल बटीं  मैन लेखी नी  कुछ।
                  पर अब यन्न नी होण्यां। मै जरूर कुछ न कुछ छोटी बड़ी बात आप लोग तक पोंछोणु रौलू।
                                                                आप कु एक अलगीसी भुला अजनबी