Thursday 22 July 2010

आँगन की सान...... ओखली (उर्ख्यालू)

ओखली हर परिवार , हर घर के आँगन मी होती थी अब तो कुछ ही घर होंगे जिनके आँगन इस से सजे होंगे ओखली का हमारे गढ़वाली जीवन मी आदि काल से बहुत ही महत्वा रहा है जब चक्की नहीं हुआ करती थी तो धान, मंडुआ ,मसाले कुछ भी पावडर बनाना या छिलका निकलनाआदि काम इसी के द्वारा संपन होते थे यहाँ पर एक महिला हल्दी का पावडर बना रही हें

1 comment:

  1. गाँव का चित्रित वर्णन देखकर एक कसक सी जाग उठी है बहुत सुकून देता है ये वातावरण |भले ही पहाड़ी जीवन थोडा अलग हो सकता है परन्तु जीवन जीने के उपकरण prayh एक जैसे ही होते है |ओखली मूसल देखकर वो कहावत यद् आ गई जब "ओखली में सर दिया तो मूसली से क्या डरना ? "

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