Thursday 4 June 2015

मेरु परदेशी लाटू ..


आज कुजाणि कख बटीं 
देखि होलु घरो कु बाटू
मिन सोची
बिशरी गी  होलु मेरु लाटू।
पुंगड़ी -पाटलि 
बांजा पड़िगेन
चौक उर्ख्याला 
कुड़ी खंद्वार व्हैगेन
अब क्या कल्ली तू मेरा लाटू।
आज कुजाणि कख बटीं 
देखि होलु घरो कु बाटू
मिन सोची 
बिशरी गी  होलु मेरु लाटू। 
रुप्प्यों का बाना 
परदेशु  भागी 
अपरा सभ्यों तें 
यख छोड़ी तें  चलिगें
अब क्या सम्भाली 
कुछ हाथ नी रयूं
आज कुजाणि कख बटीं 
देखि होलु घरो कु बाटू

मिन सोची 
बिशरी गी  होलु मेरु लाटू 

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