हमारा साधारण,कठिन परिश्रमी जीवनचर्या फोटो अर कविता का माध्यम से आप तक पहुचाने की छोटी सी कोशिस ......
Thursday, 22 July 2010
गढ़वाली रसोई
ये हमारे गढ़वाल की एक आदर्श रसोई है आज भले ही भले ही तरह -तरह के गैस स्टोव, बिजली के स्टोव, गोवर गैस स्टोव आदि खाना पकाने के कई साधन मोजूद हैं पर लकड़ी जला के चूले में खाना पकाना सदियों से चला आ रहा है यहाँ पर भी एक ग्रामीण महिला रोटियां पका रहीं हैं और बिना स्कूल की बर्दी उतारे सीधे रसोई में खाना ढूढ़ना बाल जीवन का एक स्वाभाविक प्रविर्ति है और तो क्या बताऊँ पर मेरा बचपन कुछ यूँ ही गुजरा है आज भी जब वो दिन याद आते है तो आँखें छल- छला आती है कहाँ से लाऊ वो दिन फिर से .......!!!!
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