Thursday, 4 June 2015
मेरु परदेशी लाटू ..
आज कुजाणि कख बटीं
देखि होलु घरो
कु बाटू
मिन त सोची
बिशरी गी होलु मेरु
लाटू।
पुंगड़ी -पाटलि त
बांजा
पड़िगेन
चौक उर्ख्याला
कुड़ी खंद्वार
व्हैगेन
अब क्या कल्ली
तू मेरा लाटू।
आज कुजाणि कख बटीं
देखि होलु घरो कु बाटू
मिन त सोची
बिशरी गी होलु मेरु
लाटू।
रुप्प्यों का बाना
परदेशु भागी
अपरा सभ्यों तें
यख
छोड़ी तें चलिगें
अब क्या सम्भाली
कुछ हाथ नी
रयूं
आज कुजाणि कख बटीं
देखि होलु घरो
कु बाटू
मिन त सोची
बिशरी गी होलु मेरु
लाटू
'तुंगलों का मुल्क'
खास पट्टी पैली 'तुंगलों का मुल्क' का नाम सी विख्यात थें।
त वैका बारा मा मेरी या रचना। ……
तुंगलों का मुलुक मेरा
तुंगला हर्ची ग्येन,
पुंगडा पाटला , गोरु बाखरा
मनखि भी नि रैन।
कूड़ों की पठाली
भि अब कूड़ों मा नि रैन
तुंगलों का मुलुक मेरा
तुंगला हर्ची ग्येन।
ये मुलुक का भाई बंध
देशू चली ग्येन
दाना सायण , बूढ़ -बुढया
गों माँ छुटी ग्येन।
मेरु प्यारु पहाड़
रीतू सुनू व्हेई ग्ये ,
देवतों कि धरती
देबतों मा चली ग्ये।
त वैका बारा मा मेरी या रचना। ……
तुंगलों का मुलुक मेरा
तुंगला हर्ची ग्येन,
पुंगडा पाटला , गोरु बाखरा
मनखि भी नि रैन।
कूड़ों की पठाली
भि अब कूड़ों मा नि रैन
तुंगलों का मुलुक मेरा
तुंगला हर्ची ग्येन।
ये मुलुक का भाई बंध
देशू चली ग्येन
दाना सायण , बूढ़ -बुढया
गों माँ छुटी ग्येन।
मेरु प्यारु पहाड़
रीतू सुनू व्हेई ग्ये ,
देवतों कि धरती
देबतों मा चली ग्ये।
Wednesday, 3 June 2015
उ बचपन का दिन। …
कभी गारा गिट्टा खेली
कभी थुचा खेली।
बचपन का दिन मेरा
जैन ठेली - ठेली।
दगड़ा का नोना
सभी स्कूल ग येन
मेरी झोली माँ वेन
पाटी कलम नी डाली।
बचपन का दिन मेरा
जैन ठेली - ठेली।
बरखा का धिड़ा हो
या तड़ - तड़ा घाम ,
सेरा पुंगड़्यौं माँ मैन
कई रीतू झेलीं
बचपन का दिन मेरा
जैन ठेली - ठेली।
घास का परोड़ा
उ म्वाल की मुलासि ,
रात व्हेई जांदी थें
घाती सारी -सारी
आज भी नी भूली
बचपन का दिन मेरा
जैन ठेली - ठेली।
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